गुरु का दिशा दर्शन जीवन को बनाता महान - मुनि मोहजीतकुमार
¤ महाश्रमणोत्सव कार्यक्रम हुआ समायोजित
चेन्नई : मुनिश्री मोहजीतकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में तेरापंथ सभा, किलपाॅक, चेन्नई के तत्वावधान में कुबेर बैंक्विट हॉल में रविवार को आचार्य श्री महाश्रमणजी के 64वें जन्मदिवस, 16वें पदाभिषेक दिवस और 52वें दीक्षा दिवस पर 'महाश्रमणोत्सव' कार्यक्रम समायोजित किया गया।
नमस्कार महामंत्र समुच्चारण से शुभारम्भ कार्यक्रम में जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री मोहजीतकुमारजी ने गण के श्रृंगार आचार्य महाश्रमण के कर्तृत्व और व्यक्तित्व को व्याख्यायित करते हुए कहा कि आचार्य महाश्रमण एक ऐसे व्यक्तित्व है, जो स्वयं अपने आप के साथ दुसरों को भी आलोकित करते रहते है। उनका त्यागबल, वाणीबल, संयम बल अनुपम है। एक और उनके जीवन में साधना की ऊंचाई है, तो दूसरी और व्यवहार की गहराई है।
मुनिवर ने विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि हम गूगल का अध्ययन करें या न करें, लेकिन गुरु का दिशा दर्शन जरूर प्राप्त करें। गुरुदेव हर समय स्वयं अपडेट रहते हैं और शासन को भी अपडेट करते रहते हैं। उनके जीवन की लाइट हमें ब्राइट करती रहें।
मुनिश्री भव्यकुमारजी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए आगम में वर्णित श्रमणत्व के अस्तित्व को आचार्य महाश्रमण के कर्तृत्व से तुलनात्मक प्रस्तुति दी।
मुनिश्री जयेशकुमारजी ने कहा कि आचार्य महाश्रमण की प्रेरणा हर किसी के जीवन निर्माण का आधार है। आपने अपने दीक्षा गुरु के साथ अपनी आध्यात्मिक यात्रा के मौलिक दस्तावेज सुनाते हुए कहा कि गुरु शिष्य के विकास में निरंतर ऊर्जा भरने का प्रयास करते हैं। गुरु माता-पिता, मार्गदर्शन के साथ मित्र के समान होते हैं। आपने स्वरचित गीत का संगान कर शमां बांधा।
अध्यक्ष अशोक परमार के साथ गणमान्य व्यक्तियों ने आचार्य भिक्षु आख्यान साहित्य पर आधारित 'भिक्षु साहित्य रत्न प्रश्नमाला प्रतियोगिता' पुस्तिका मुनिवर को निवेदन कर उसका लोकार्पण किया। कन्या मंडल ने श्रद्धावन्दना, पुरुषवाक्कम भिक्षु मण्डली ने गीत और दक्ष डागा ने विचारों के साथ अपनी प्रस्तुती दी। मंत्री विजय सुराणा ने स्वागत स्वर और उपाध्यक्ष धर्मीचन्द छल्लाणी ने आभार व्यक्त किया। संघ गान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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