अखण्ड आनन्द पाने का रास्ता है सामायिक : मुनि हिमांशुकुमार

★ दीक्षा धोका ने स्वीकार किया नव की तपस्या का प्रत्याख्यान

🏆 तेयुप चेन्नई संस्कार में विशिष्ट परिषद् से हुई सम्मानित


 चेन्नई 27.08.2024 : साधना का सबसे सरल साधन है- समत्व की साधना, समता की साधना। उपरोक्त विचार मुनिश्री हिमांशुकुमारजी ने 'मुक्ति का राजपथ' प्रवचनमाला के अन्तर्गत तेरापंथ भवन, साहुकारपेट, चेन्नई में कहें।

 मुनिप्रवर ने फरमाया कि भगवान महावीर ने मुक्ति को सरलता से पाने के उपाय के रूप में श्रावक को समत्व की साधना करने की प्रेरणा दी। उसके लिए सामायिक करने का विधान दिया। सामायिक यानि

1. जीवन में समभाव, संतुलन, बैलेंस रखना।

2. अपनी आत्मा में रहना, बाह्य वातावरण में रहते हुए भी भीतर में रमण करना।

3. मन, वचन, काया रुपी पाप के दरवाजों को बन्द करना।

4. सब जीवों के प्रति मैत्री, करुणा, आत्मोपम्य, समानुभूति के भागों में रहना।

 मुनिश्री ने सामायिक की विशेषताएँ बताते हुए कहा कि मन, वचन, काया से होने वाली सामायिक-

1. जैन साधना का प्राणतत्व है।

2. पाप के ताप को बचाने वाला एयर कंडीशनर है।

3. अन्तर मुर्हूत में आत्मा को ऊपर उठाने वाली लिफ्ट है।

4. मुक्ति का एक्सप्रेस हाईवे हैं।

5. साधु जीवन की अनुभूति कराता है।

6. मोहरूपी महारोग की संजीवनी बूटी है।

7. संसार के दावानल को बुझाने वाली महा मेघ धारा है।

8. साधना का शिखर है।

9. मोक्ष प्राप्ति की कूंजी है।

10. मानसिक शांति पाने का मार्ग है।

11. छह आवश्यक में प्रथम आवश्यक है।

12. अखण्ड आनन्द पाने का रास्ता है।

मुनि श्री हेमंतकुमारजी ने अच्छे जीवन जीने के रहस्यों को बताते हुए कहा कि आप जिस मार्ग पर जा रहे है या स्वीकार कर रहे है, पहले उसका परिक्षण जरूर करें कि यह मेरे साध्य में सहयोगी बनेगा, साध्य तक पहुंचाने का उपाय बनेगा। लक्ष्य में फलदायक सिद्ध होगा।


 सुश्री दीक्षा धोका ने मुनिप्रवर से नव उपवास की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तप के द्वारा तपस्वी का तपस्वियों ने अभिनन्दन किया।


 तेयुप निवर्तमान अध्यक्ष दिलीप गेलड़ा ने अभातेयुप द्वारा पुरे भारत वर्ष में संस्कार में विशिष्ट परिषद् से सम्मानित होने एवं अन्य सात आयामों के लिए सम्मानित करने के साथ तेयुप की गतिविधियां निवेदित की। मुनिश्री ने आशीर्वचन प्रदान किया।