पुरुषार्थ से संस्कारों को रखें सुरक्षित : साध्वी डॉ गवेषणाश्री

★ तमिलनाडु राज्यस्तरीय पंचदिवसीय बालिका संस्कार निर्माण शिविर का हुआ समापन

 चेन्नई : जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान, तेरापंथ सभा- चेन्नई की आयोजना में, युवामनीषी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में तमिलनाडु राज्यस्तरीय 'बालिका संस्कार निर्माण शिविर' के पंचदिवसीय आयोजन का रविवार को समापन हुआ।

◆ हुनर भरी हो जिन्दगी

 साध्वी गवेषणाश्री जी ने कहा- जिंदगी जीना है तो कुछ हुनर पैदा करना जरूरी है। जो काम सोना कर सकता है, वह तांबा नहीं कर सकता। रोटी पकाने में जितना समय लगता है, उससे अधिक खाने में लगता है। जितना खाने में लगता है उससे अधिक कमाने में लगता है। हम अपने संस्कारों को सुरक्षित रखना चाहते है तो उसके लिए पुरुषार्थ करना होगा।

◆ सत् संस्कार जीवन की खुराक

 कन्याओं को शिविर में जो संस्कार प्राप्त हुए है, उसको संजोकर रखना है। यह हमारे जीवन की खुराक है, यह संस्कार ओजपूर्ण आहार से युक्त है, जो जिंदगी भर आपके काम आएंगे। तेरापंथी महासभा, तेरापंथ सभा, तेरापंथ ट्रस्ट बोर्ड और शिविर संयोजिका एवं पूरे ग्रुप के सहयोग से ही यह पंच दिवसीय शिविर सफल हो पाया है।

 कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी मेरुप्रभाजी के मंगलगान से हुआ। साध्वी दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। प्रारंभ के कार्यक्रम का संयोजन साध्वी मयंकप्रभाजी ने किया।

शिविरार्थी बालिकाओं द्वारा रोचक ग्रुप के माध्यम से योगा एवं शिविर में सिखीं बातों की मनमोहक प्रस्तुति से सभी को आकर्षित किया। अपने अनुभव भी साझा कियें।

 मुमुक्षु कोमल, मुमुक्षु हेमश्री ने प्रेरणास्पद विचार रखें। ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंधन्यासी व महासभा प्रभारी श्री विमलजी चिप्पड़, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री उगमराजजी सांड, शिविर व्यवस्थापिका कविताजी रायसोनी, मनोजजी डूंगरवाल, हेमन्तजी मालू आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए। 


आभार ज्ञापन भारतीजी मुथा ने किया। इन सभी के साथ शिविर के सफल समायोजन में संयोजिका वसंताजी बाबेल, कुसुमजी चोरड़िया और पूरी टीम का श्रम रहा। तेरापंथ सभा द्वारा शिविर व्यवस्थापकों, प्रशिक्षकों, शिविरार्थियों का सम्मान किया गया।



साभार : सोशल मीडिया