जैन महासंघ के तत्वावधान में सामुहिक क्षमापना कार्यक्रम
चेन्नई : साहूकारपेट जैन महासंघ के तत्वावधान में तेरापंथ सभा भवन साहूकारपेट में महिलाओं के लिए क्षमायाचना का भव्य आयोजन चारों संप्रदाय की साध्वीयों के सानिध्य में रखा गया।
नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी लावण्यश्री के द्वारा किया गया। तेरापंथ महिला मंडल से दीपमाला भंडारी, रीना डूंगरवाल, रेखा पींचा एवं पूजा वेद मुथा द्वारा मंगलाचरण की सुंदर प्रस्तुति हुई।
तेरापंथ समाज से आचार्य महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री लावण्यश्री, साध्वी श्री सिद्धांतश्री एवं साध्वी श्री दर्शितप्रभा एवं मुर्तिपूजक संप्रदाय से साध्वी श्री स्वर्णाजनाश्री, साध्वी श्री काव्यरत्नाश्री एवं साध्वी श्री रैवरत्नाश्री ; स्थानकवासी संप्रदाय से साध्वी श्री सुप्रभाश्री की गरिमामय उपस्थिति रही।
तेरापंथ महिला मंडल चेन्नई की अध्यक्षा लता पारख ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा क्षमा तुम ही ज्ञान और आकाश हो, क्षमा तुम ही पूर्णता हो, इतना महत्वपूर्ण होता है क्षमा और इससे भी ज्यादा महत्व सम्पूर्ण विश्व में क्षमा महोत्सव का मनाना। जो आत्मा को परमात्मा में परिवर्तित कर देता है।
मूर्तिपूजक संप्रदाय से श्रीमती रमीला बेन ने कहा अवचेतन मन की शक्ति इतनी अद्भुत है कि आपकी पुरी जिंदगी बदल देती हैं, क्षमा शब्द छोटासा पर आत्मा को जगा देता है और तेरापंथ महिला मंडल के लिए विशेष कहा कि discipline, मौन लगन, पुरुषार्थ और निष्ठा की प्रतीक है। जैन महासंघ महिला समिति से मंजू बेन ने स्वागत करते हुए कहा आज जैन महासंघ के आग्रह को स्वीकार करते हुए सभी साध्वीश्रीजी यहां पधारे हैं, जैन महासंघ हमेशा आपका ऋणी रहेगा। आज चारों संप्रदाय के साध्वीश्रीजी को एकसाथ वंदन, क्षमायाचना का भव्य अवसर मिला है और सभी श्राविकाओं से भी क्षमायाचना करती हूँ।
साध्वी लावण्यश्री ने फरमाया कि क्षमा रूपी बावना चंदन हमारे पास है, तो हम हर प्राणी से मित्रता स्थापित कर सकते हैं। हमें बाहर से भीतर की ओर देखना चाहिए और विभाव से स्वभाव में जाएं। मैत्री का पर्व हमें क्षमा का आदान-प्रदान सिखाता है, हम इस महापर्व पर एक दुसरे से क्षमा करके अपने आपको हल्का महसूस कर सकते हैं।
साध्वी स्वर्णाजनाश्री ने फरमाया कि कषाय भावों का विसर्जन, क्षमा का अर्जन, ज्यादा बारिश से कचरा भी साफ हो जाता है, वाणी रूपी पानी हमारे भीतर बरसा है तो अंतर की सफाई करता है।
साध्वी रैवरत्नाश्री ने ऐतिहासिक घटना के माध्यम से क्षमा का महत्व बताया। अपने अस्तित्व को पहचानने के माध्यम सकारात्मकता है।
साध्वी सुप्रभाजी ने फरमाया वैर और क्षमा के दो-दो अक्षर हैं। एक दुनिया से दूर करता है और एक दुनिया के पास रखना सिखाता है।
साध्वी रत्नश्री महाराज ने फरमाया वचनों के तीर से दूसरे के मन बिंद देते हैं। ग्यारवा प्राण क्षमा है इसको हराने वाला क्रोध है। शुद्ध हृदय से क्षमा मोक्ष की और अग्रसर करता है।
साध्वी सिद्धांतश्री ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए फरमाया कि क्षमा विरस्य भूषणम- क्षमा वीरों का आभूषण है। क्षमा छोटा सा शब्द आत्मा को हल्का बना देता है।
क्षमायाचना कार्यक्रम में चेन्नई से 39 मंडल की सैकड़ों बहनों की गरिमामय उपस्थिति रही। तेरापंथ महिला मंडल से पूजा भंडारी, गरिमा आच्छा, वंदना पगारिया, अंजू आच्छा, सपना सेठिया ने क्षमायाचना पर्व के उपलक्ष्य में प्रेरणास्रोत नाटिका की प्रस्तुति दी।
इसी कड़ी में दूसरे सत्र में जैन महिला सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका विषय था ; पहचान - स्वयं की अस्तित्व की WHO AM
मंत्री हेमलता नाहर ने संचालन करते हुए कहा नारी तू बैल नही संपूर्ण वृक्ष है, तू स्वयं के अस्तित्व को पहचान है, एक खूबसूरत कविता श्रृंखला है, जिसमें नारी के जीवन के संघर्ष और उसके साहस की प्रभावी पहचान और अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।
साध्वी दर्शितप्रभाजी ने कहा की नारी के अनेकों रूप और सिर्फ नारी को ही क्यों करना होता है। sacrifice जाने आपका अस्तित्व क्या है? जाने आपकी पहचान क्या है? आपका उद्देश्य क्या है?
जैन महासंघ से मंजू बेन द्वारा तेरापंथ महिला मंडल का अभिनंदन माला और शाल से किया गया। विभिन्न मंडलों के सम्मान के कार्यक्रम का संचालन श्रीमती वंदना खटेड ने किया। तेरापंथ महिला मंडल की ओर से समागत समस्त महिला संस्था के प्रमुख का साहित्य एवम जैन पट् के द्वारा सम्मान किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी पदाधिकारियों, कार्यसमिति सदस्यों, विशेष आमंत्रित सदस्यों, तेरापंथ सभा चेन्नई और ट्रस्ट बोर्ड के साथ भवन के कर्मचारियों का भी सहयोग रहा।
इस अवसर को साध्वीश्रीजी ने श्रेय जैन एवम मधु बोथरा का 11 की तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया। धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती वंदना पगारिया ने दिया।
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