संत आते, तो संस्कृति मुस्कुराती : डॉ साध्वी गवेषणाश्री
कोयम्बटूर : आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डा. साध्वी गवेषणाश्री का भव्य जुलूस के साथ कोयम्बटूर तेरापंथ भवन में आगमन हुआ।
डा. साध्वी गवेषणाश्री ने कहा कि वसंत आता है तो प्रकृति मुस्कुराती है और संत आते है तो संस्कृति मुस्कुराती है। आज भौतिकता की चकाचौंध में व्यक्ति अध्यात्म की चाबी को खो रहा है। मूर्च्छा, मोह से ग्रस्त हो गया है। साधु-संत खोई हुई चाबी को उपलब्ध कराने आते है। साधुसंत निर्मल पानी की तरह होते है, जो सद्-उपदेश के द्वारा सभी को पवित्र और शुद्ध करते है।
साध्वी मयंकप्रभा ने कहा कि आगमिक शब्द है- अभ्युत्थान अर्थात् जागृत रहो। साध्वीश्रीजी, देवलोक की सुघोष घंटा को बजाकर आप सभी की निन्द्रा, मूर्च्छा को तोड़ने आये है।
महिला मण्डल उपाध्यक्षा रूपकला भंडारी के मंगलाचरण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्वागत गीत महिला मण्डल के द्वारा प्रस्तुति हुई। साध्वी मेरूप्रभा व साध्वी दक्षप्रभा के गीतों ने सभा को भावविभोर बना दिया। तेरापंथ समाध्यक्ष उत्तमचन्द पुगलिया ने साध्वीवृंद का भावभीना स्वागत किया। मोहनलाल बुच्चा, कान्तादेवी नाहटा ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। मंच संचालन उपासिका सुशीला बाफणा ने किया। आभार ज्ञापन युवक परिषद् अध्यक्ष मनोज बाफणा ने दिया।
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