जन मन के उद्धारक है भगवान महावीर के सिद्धांत


 हर आत्मा का मूल लक्ष्य होता है, मोक्ष को प्राप्त करना। उसके लिए जरूरी होता है- जीवन में सत् संस्कारों का रहना। भारतवर्ष ऋषि मुनियों का देश है। यहां अनेकों संत जन हुए, जिन्होंने स्वयं साधना की ओर लोगों को भी उस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं में से एक साधना सम्पन्न हुए है- भगवान महावीर।

 भगवान महावीर को जैन धर्म में तीर्थंकर कहते है। वे इस युग के अंतिम चौबीसवें तीर्थंकर हुए। सारा जैन समाज उनके बताये मार्ग पर चलकर साधना आराधना करता है।

 भगवान महावीर का जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को हुआ था। आपने यौवनावस्था में गृह त्याग कर दीक्षा अंगीकार की। साढ़े बारह वर्ष की कठोर तपस्या के बाद आपको अतिविशिष्ट केवलज्ञान प्राप्त हुआ। आपने जन-मन के उद्धार के लिए अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह के सिद्धांत दिये।

 भगवान महावीर ने अनूकूल- प्रतिकूल हर परिस्थितियों में समता पूर्वक रहने का सिद्धांत दिया। समभाव, सहिष्णुता, सहआस्तित्व को अपनाने से व्यक्ति स्वयं अपना तो कल्याण करता ही है साथ में परिवार, समाज, राष्ट्रीय की अनेकों समस्याओं का समाधान हो सकता है।

 भगवान महावीर के 2622वें जन्म कल्याणक दिवस पर न्यूज शुभ सभी को हार्दिक बधाई सम्प्रेषित करता है। 

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