चौमुखी विकास का परम पथ है- ज्ञानाशाला : साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
★ राघवेंद्र कॉलोनी की श्रीनगर कॉलोनी में
★ सिकंदराबाद की 22 वीं ज्ञानशाला का हुआ शुभारम्भ
सिकंदराबाद 19.03.2023 : तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के तत्वावधान में साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी की पावन प्रेरणा से राघवेंद्र कॉलोनी की श्रीनगर कॉलोनी में सिकंदराबाद की 22 वीं ज्ञानशाला का पावन शुभारंभ हुआ।
◆ लक्ष्य, सही दिशा और संकल्प प्राप्त करवाता मंजिल
इस सुरम्य अवसर पर साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि बिना लक्ष्य के की गई जिंदगी की यात्रा फलदायी नहीं बन सकती। महत्वपूर्ण चिंतन यह करना है कि लक्ष्य बनाया, पर सही दिशा नहीं तो लक्ष्य नहीं मिलेगा। इससे भी आवश्यक है, प्रबल संकल्प हो। लक्ष्य, सही दिशा और संकल्प मंजिल प्राप्त करवाता है।
साध्वीश्रीजी ने आगे कहा कि आज लक्ष्यहीन भौतिकता की दौड़ में कुछ विशेष प्राप्त नहीं हो रहा। अध्यात्मिकता को भूले नहीं। ज्ञानशाला अध्यात्म की यात्रा का विशिष्ट उपक्रम है, यह संस्कार का विशिष्ट स्थान है। चौमुखी विकास का परम पथ है।
साध्वीश्रीजी ने श्रमण श्रेणी में की गई अपनी विदेश यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि विदेशों में बसे भारतीय परिवार अपने भावी पीढ़ी के संस्कारों के प्रति बहुत जागरूक है।
◆ ज्ञानशाला की तरह ही प्रौढ़शिक्षा आवश्यक
साध्वीश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि ज्ञानशाला की तरह ही प्रौढ़शिक्षा आवश्यक है। स्वाध्याय, तप आदि की यात्रा में सहभागी बने। समय की प्रबन्धता के साथ अपने कार्यों का नियोजन कर चातुर्मास काल में ज्ञान, ध्यान, तप आदि की विशिष्ट साधना करें। अध्यात्म की धारा में अभिस्नात होते रहें। ज्ञानशाला की प्रशिकाएं भी अच्छे श्रम का समायोजन कर रही है। प्रशिक्षिकाओं की मेहनत ज्ञानार्थियों को आगे बढ़ाने में योगभूत बन रही है। नई पौध को सही सिंचन मिले, इसके लिए अभिभावकों को विशेष जागरूक रहना है। बच्चों के जीवन को सजाने, संवारने और उपयोगी बनाने में सृजनात्मक नई सोच से कार्य करना है। निरंतर प्रोत्साहन से बच्चों की प्रतिभा में निखार आ सकता है।
राघवेन्द्र कॉलोनी की ओर से श्री तिलोकचंदजी सिपानी ने स्वागत स्वर प्रस्तुत करते हुए कहा कि गुरु कृपा से हमने एक प्रबुद्ध साध्वीश्री का चातुर्मास प्राप्त किया है। हमें अधिक से अधिक लाभ लेना है। ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका सीमा दस्सानी ने विचार व्यक्त किए।
साध्वी डॉ. चैतन्यप्रभाजी ने कहा- ज्ञानशाखा एक ऐसा प्रांगण है, जहाँ से विकास के सोपान पर चढ़ा जा सकता है। खुद को निखारा जा सकता है। प्रकाश युक्त जीवन जीया जा सकता है। प्रशिक्षिकाओं ने गीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी मन-मोहक प्रस्तुति दी। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी, साध्वी सिद्धियशाजी, साध्वी राजुलप्रभाजी, साध्वी चैतन्यप्रभाजी एवं साध्वी शौर्यप्रभाजी ने "संस्कारों का सिंचन पा विकसाए, शिखर छू जाए" गीत का सह संगान किया, कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।
साध्वीश्रीजी के सानिध्य में 'श्रीनगर कॉलोनी ज्ञानशाला उद्घाटन' बैनर का अनावरण किया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद अध्यक्ष बाबूलालजी बैद, मंत्री सुशीलजी संचेती, ज्ञानशाला प्रभारी सुनीलजी बोहरा, आंचलिक संयोजक श्रीमती सीमाजी दस्साणी, क्षेत्रीय संयोजक श्रीमती संगीताजी गोलच्छा, महिला मंडल अध्यक्षा अनिताजी गिडिया, अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रकाशजी भंडारी, तेयुप अध्यक्ष वीरेंद्र घोषल व धर्म सभा में श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।
समाचार साभार : मिनाक्षी जैन
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