पचरंगी तप अभिनंदन समारोह का भव्य आयोजन
★ खाना प्रकृति, तो तप संस्कृति : मुनिश्री जिनेशकुमार
लिलुआ, कोलकत्ता 14.02.2023 : युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सन्निध्य में एवं लिलुआ श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के द्वारा पंचरंगी तप अभिनंदन समारोह का आयोजन तेरापंथ भवन में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्रीमान् राजकारणजी सिरोहिया, तेरापंथ विद्यालय सोसायटी के अध्यक्ष श्रीमान् भीखमचंदजी पुगलिया उपस्थित थे।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने कहा- जिनशासन में आत्म शुद्धि के चार उपाय बताए गये है। उसमें एक महत्त्वपूर्ण उपाय सम्यग् तप है। तप कर्म निर्जरा का साधन है। तप ज्वाला नहीं ज्योति है, विग्रह नहीं अनुग्रह है, दमन नहीं शमन है। जैसे सुवर्ण में रहे मैल को अग्नि दूर करती है, दूध में रहे पानी को हंस अलग करता है, वैसे ही तप जीवों के कर्म रूपी मैल को अलग करता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि तप मन, वचन, काया रूपी योगों को स्वस्थ बनाता है और उपयोग को सम्यक् बनाता है। तप के साथ स्वाध्याय, ध्यान, जप आदि का योग हो तो सोने में सुहागा जैसी कहावत चरितार्थ होती है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि लिलुआ आदि क्षेत्रों की सक्रियता से ही पचरंगी तप बिना मौसम में होना अपने आप में विलक्षण है। उपभोक्तावादी संस्कृति में जहाँ प्रचुर मात्रा में सामग्री उपलब्ध होने के बावजूद तपस्या करना अपने आप में विलक्षण है। खाना प्रकृति है तो तप संस्कृति है।
पंचरंगी तप में 25 भाई बहिन तपस्या करते हैं। जुगराजजी बैद, विनोदजी बाँठिया, मीनादेवी सुराणा, अनिल जैन, आनंद लूणिया, मंजू घोड़ावत ने पांच दिन की तपस्या की। नंदिनी लुणिया, निकिता सेठिया, सोना छाजेड़, प्रिया डागा, प्रेमबाई लुणिया ने चार दिन की तपस्या की। दिव्या बैंगवाणी, साक्षी दूगड़, कुसुम सेखाणी, संगीता बाफना, समता बागरेचा ने तेला तप किया। निकिता बैद, विरेन्द्र लुणिया, कोमल मुणोत, संगीता बैद, मनीषा बांठिया, प्रदीप लुणिया ने बैले की तपस्या और रणजीत सेठिया, बेलाबाई पोरवाल, निर्मला बैद, प्रियवंदा बांठिया, महावीर लुणिया, नेना सुराणा, पूर्णिमा सुराणा, जुही लूणिया, रतन मुणोत ने उपवास किया। सभी तपस्वियों के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामना करता हूं। बाल मुनिश्री कुणालकुमारजी ने तप प्रेरणा गीत प्रस्तुत किया।
भिक्षु भजन मण्डली द्वारा तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण लिलुआ तेरापंथी सभा के अध्यक्ष प्रमिलजी बाफना ने दिया। इस अवसर पर भीखमचंदजी पुगलिया, राजकरणजी सिरोहिया, कटक सभा के अध्यक्ष मोहनलालजी सिंधी, अमरचंदजी सेठिया , तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अमितजी बांठिया, तेरापंथ महिला मंडल कि अध्यक्षा बेला पोरवाल ने तप अनुमोदना में अपने विचार व्यक्त किये। पंचोला तप के तपस्वी आनंद लुणिया, मंजू घोड़ावत ने तपस्या के अनुभव सुनाते हुए विचार व्यक्त किये।
आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा के मंत्री रोशनजी चौपड़ा ने व संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने किया।
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