मर्यादा, लक्ष्मण रेखा में रहने वाला परिवार रहता सुरक्षित : गच्छाधिपति जिनमणिप्रभसूरिश्वरजी 

★ गाड़ी की तरह जीवन में भी स्पीड ब्रेकर, रेड सिग्नल, रिवर्स गियर की बताई उपयोगिता

 चेन्नई 06.08.2023 : श्री मुनिसुव्रत जिनकुशल जैन ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री सुधर्मा वाटिका, गौतम किरण परिसर, वेपेरी में शासनोत्कर्ष वर्षावास में धर्मपरिषद् को संबोधित करते हुए गच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभसूरीश्वर म. ने कहा कि गाड़ी की सुरक्षा के लिए जैसे रेड़ सिग्नल, स्पीड ब्रेकर जरूरी है उसी तरह जीवन में भी रेड़ सिग्नल, स्पीड ब्रेकर, रिवर्स गियर का होना जरूरी है, उसी का नाम है- मर्यादा।

मर्यादा परिवार को, स्वयं को सुरक्षित रख सकती है। हर रावण सीता को उठा कर ले जा सकता है, जब वह लक्ष्मण रेखा को पार कर जाती है। हमारे परिवार की सुरक्षा, संस्कारों के संवर्धन, शील की सुरक्षा के लिए जरूरी है हम लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन न करे। उस रेखा के भीतर रहकर हम प्रसन्नता का अनुभव कर सकते है। पंतग तभी तक सुरक्षित है, जब तक उसकी डोर किसी के हाथ में है। वह परिवार भी सुरक्षित रहता है, जो बड़ों की डोर, मर्यादा, लक्ष्मण रेखा में चलता है।

◆ केले के छिलके की तरह घर में पिताजी सुरक्षा के लिए जरूरी

आचार्यश्री ने कहा कि वर्तमान के सोशियल मीडिया के युग में स्वतंत्रता के साथ स्वच्छंदता बढ़ गई है। उस स्वच्छंदता को मिटाने के लिए हमें स्वयं को अपनी स्वभाविक रुप से मर्यादा बनानी होगी। घरों में जैसे कलैण्डर लगा रहता है, वैसे ही परिवार की मर्यादा का बोर्ड लगा रहना चाहिए। भीतर का केला तभी तक सुरक्षित है, जब तक उस पर छिलका लगा है। वैसे ही हमारी सुरक्षा के लिए पिताजी की मर्यादा जरूरी है। हमारा जीवन, हमारा आचरण, हमारे संस्कार, हमारा धर्म, हमारा समाज भी तभी तक सुरक्षित है, जब तक केले के ऊपर छिलका है। परिवार में जब-जब मर्यादा का उल्लंघन हुआ है, तब-तब उनका जीवन नरक के समान हो जाता है।

◆ पारिवारिक जीवन में पारस्परिक व्यवहार, संवाद जरूरी

विशेष प्रतिबोध देते हुए गच्छाधिपति गुरुदेव ने कहा कि हमारे पारिवारिक जीवन में पारस्परिक व्यवहार, संवाद जरूरी है, नहीं होने पर पारस्परिक लज्जा खण्डित हो सकती है। दो बाते महत्वपूर्ण है- 1. जिनसे हम डरते है, उनसे कभी प्रेम नहीं करना जैसे आग, सांप इत्यादि। 2. मगर जिनसे हम प्रेम करते है, उनसे सदा सदा डरना, क्योंकि डर में मर्यादा है। ये दोनों बाते महत्वपूर्ण है। प्रेम सौदा नहीं अपितु हृदय का कल् कल् बहता झरना है। जो हमारे विकास को रोके वह नकारात्मक डर और जो पतन को रोके वह सकारात्मक डर। जीवन विकास के लिए, पतन को रोकने के, भविष्य को बचाने के लिए हमारे में सकारात्मक डर जरूरी है। एक बेटी या बेटे के हृदय में डर जरूरी है, तभी तो वह सोचेगा कि अगर मैने कुछ गलत कर दिया तो मैरे पिताजी क्या सोचेंगे, क्या कहेंगे? यह डर प्रेम का ही प्रतिक है। उसी डर से ही जीवन सवंरता है, सजता है। इस पंचमकाल में जिसमें हम विकासवाद के विनाश वातावरण में हमें विनाश की ओर ले जाने वाले कदम कदम पर निमित्त मिल सकते है। जिसमें द्रव्यों का विकास हो, पदार्थों का, साधनों का, सुविधाओं का विकास हो, वहां संस्कारों का विनाश हो, उस वातावरण में हम जी रहे है, अतः परिवार में डर जरूरी है। जिस घर में माता पिता भाई बहन साथ में बैठ कर आधुनिक फिल्में देखते है, वहां लज्जा भी सुरक्षित नहीं रह सकती। कोई भी माता पिता अपनी संतान के दुश्मन नहीं होते, उनका उज्जवल भविष्य देखना चाहते है, उज्जवल भविष्य, संस्कार को देख कर आगे का विधान करते है। 

◆ समाज की सुरक्षा के लिए सामाजिक रीति रिवाजों का होना जरूरी

वर्तमान की वस्तुस्थिति पर कुठाराघात के साथ विशेष दिशानिर्देश देते हुए गुरु भगवंत ने कहा कि पूर्व के समय में चाहे भोजन समारोह हो, शादी का कार्यक्रम हो, समाज की व्यवस्थाओं के अन्तर्गत चलते। प्रगति के इस वातावरण में हमारी सामाजिक व्यवस्थाएं बिगड़ गई है। परिवार टुट रहे है, समाज बिखर रहा है, समाज की दशा बदल गई, समाजिक बंधन रहे नहीं। वर्तमान में समाज की कही व्यवस्थाएं पुनः बनती भी है तो उसे तोडने वाले वो ही लोग होते है जो आगेवान होते है। जबकि आगेवान का मतलब तो यह होता है कि वह समाज के लिए सुरक्षा का काम करते है, समाज को एक डोर में बांध कर रखना चाहते है। उनको बलिदान देना पड़ता है। तब समाज चलता है, संगठित रहता है, एक होकर आगे बढ़ता हैं।

◆ हमारी सबसे बड़ी सम्पत्ति हमारे संस्कार, हमारा शील है

आचार्य प्रवर ने कहा कि स्कूल लाइफ, कॉलेज लाइफ में कई बार बहकने के कारण हंसते हंसते दूसरी गली में चले जाते है और रोते रोते बाहर आते है। बुद्धि की प्रशंसा पुरुष की कमजोरी और रुप की प्रशंसा स्त्री की कमजोरी होती है। इसको समझना जरूरी है, सावधान रहना चाहिए, विशेष कर बालिकाओं को सावधान रहना चाहिए और अपनी लक्ष्मण रेखा को जरूर याद रखना चाहिए, कदम पिछे ले लेना चाहिए। हमारी सबसे बड़ी सम्पत्ति हमारा शील है, हमारे संस्कार है, उसकी सुरक्षा जरूर रखना चाहिए। प्रेम और वासना मे अंतर है- प्रेम हृदय से होता है, प्रेम में आँखें बंद नहीं होती, प्रेम अंधा नहीं बनाता। लेकिन वासना व्यक्ति को हमेशा अंधा बना लेती है। हमें अपने समाज की सभ्यता की सुरक्षा हमें स्वयं को करनी चाहिए। व्यक्ति को पैसा, सम्पत्ति या किसी भी चीज के लिए उपकारी माता पिता, खून के सम्बंधों के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। वे बच्चे कभी सुखी नहीं रह सकते जो अपने माता पिता की बातों को नहीं मानते, उनका अनादर करते है, उनके दिशानिर्देश से परे कार्य करते है, वे अन्ततः पछताते ही है।

 You can also send your news here for publication.

NEWSSHUBH22@GMAIL.COM

For More Information & Booking About Vijay Palace (अस्थाई निवास) 

Call  +91-9080972748

https://wa.me/+916382435647