अहिंसा के पालन से संभव है शांति - मुनिश्री जिनेशकुमार


★ महाजाति सदन में अहिंसा और शांति सेमिनार का आयोजन

◆ विशिष्ट अतिथियों ने की सहभागिता

उत्तर मध्य कोलकाता 02.04.2023 : युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा मध्य उत्तर कोलकाता के तत्वावधान में महावीर जन्म कल्याणक के उपलक्ष में एक दिन पूर्व अहिंसा और शांति सेमिनार का भव्य आयोजन महाजाति सदन में समारोह पूर्वक हुआ। जिसमें बंगाल सरकार की उद्योग मंत्री शशि पांजा, पूर्व राज्यपाल श्यामल कुमार सेन विशेष रूप से उपस्थित थे। 

इस अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान संस्कृति है। अध्यात्म की आत्मा अहिंसा है। अहिंसा शाश्वत है। अहिंसा साम्प्रदायिकता नहीं सार्वभौम व्यापकता है। अहिंसा शांति का सर्वोत्तम साधन है। प्राणीमात्र के प्रति संयत आचरण करना ही अहिंसा है। सत् चित्त्, आनंद की अनुभूति का नाम अहिंसा है। भगवान महावीर अहिंसा के अवतार व अहिंसा के जीवन्त दर्शन थे। उन्होंने अहिंसा का उपदेश ही नहीं दिया बल्कि अहिंसा को स्वयं जीकर दिखाया। उन्होंने विश्वशांति एवं जन कल्याण के लिए अहिंसा का संदेश प्रदान किया। उनकी अहिंसा व्यापक व सूक्ष्म है। उन्होंने आगे कहा- जीवन का लक्ष्य आनंद है। शांति के बिना आनंद की अनुभूति नहीं हो सकती। हृदय में अशांति है, नफरत घृणा आदि है, तो शांति कहां से मिलेगी। भारतीय विचार धारा में शांति का मार्ग अभय और अहिंसा है। शांति के लिए अनेक राष्ट्र अनेक तरह के संहारक और प्रलयकारी अस्त्र शस्त्रों का निर्माण कर रहे हैं। शांति शस्त्र में नहीं शास्त्र में है, शांति ग्रंथि में नहीं ग्रंथ में है। 

मुनिश्री ने आगे कहा कि व्यक्ति रोटी, अशिक्षा, तनाव, वैर, प्रतिशोध, सत्ता का उन्माद, अर्थ की प्रतिस्पर्धा में आकर हिंसा करता है हिंसा से शांति नहीं मिलती है। अहिंसा से शांति मिलती है। अहिंसा की शुरूआत स्वयं से करे, अहिंसा के विकास के लिए संयम, समता, सादगी, संतोष की साधना करें। भगवान महावीर की अहिंसा को विश्व अपनाले तो अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान हो जायेगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। मुनिश्री कुणालकुमारजी ने अहिंसा गीत का संगान किया।


■ शांति घर से प्रारंभ होकर देश में फैलती है- शशि पांजा

बंगाल सरकार की उधोग मंत्री शशि पांजा ने इस अवसर पर कहा कि भगवान महावीर ने जो कहा है उसे सिखना व अपनाना चाहिए। शांति घर से प्रारंभ होकर देश में फैलती है।संयम व नियंत्रण बहुत जरूरी है। 

पूर्व राज्यपाल श्यामलकुमार सेन ने कहा जैन धर्म में त्याग बहुत है। ऐसे सम्मेलनों से शिक्षा लेनी चाहिए। भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का बहुत महत्व है। 

प्रो. रविन्द्रनाथ भट्टाचार्य डीन कोलकात्ता युनिवर्सिटी, प्रो तनवीर अरसद एसिस्टेन्ट प्रो प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल मध्य कोलकाता के गीत से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ स‌भा के उपाध्यक्ष रूपचंद श्रीमाल, आभार व अतिथियों का परिचय राजेन्द्र संचेती व संचालन मुनि परमानंद ने किया। कोलकाता के सभा के अध्यक्ष अजयजी भंसाली ने महावीर जयंती की सुचना प्रदान की। सभा द्वारा अतिथियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर समाज के प्रतिष्ठित व गणमान्य व्यक्ति, विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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