गणगौर प्रेम एवं पारिवारिक सौहार्द का पावन पर्व


बंगलूरू : भारत रंगों भरा देश है। उसमे रंग भरते है उसके, भिन्न-भिन्न राज्य और उनकी संस्कृति। हर राज्य की संस्कृति झलकती है उसकी, वेश-भूषा से, वहा के रित-रिवाजों से और वहा के त्यौहारों से। हर राज्य की अपनी एक खासियत होती है, जिनमें त्यौहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत का एक राज्य है राजस्थान, जो मारवाड़ीयों की नगरी है और गणगौर मारवाड़ीयों का बहुत बड़ा त्यौहार है। जो बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ना केवल राजस्थान, बल्कि हर वो प्रदेश जहां मारवाड़ी रहते है, इस त्यौहार को पूरे रीतिरिवाजों से मनाते है। इसी संदर्भ में राजराजेश्वरी नगर स्थित कमल सुमन पटावरी ने अपने घर गणगौर गीत कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें गणगौर की कहानी पर आधारित नृत्य, नाटक, गीत की प्रस्तुति हुई।

बिन्दु रायसोनी ने कहा कि गणगौर प्रेम एवं पारिवारिक सौहाद्र का एक पावन पर्व है, जिसे हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। गणगौर बना हुआ है दो शब्दों के मिलने से- गण और गौर। इसमें गण शब्द से आशय भगवान शंकरजी से है और गौर शब्द से आशय माँ पार्वती से है। 

सुमन पटावरी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आस्था के साथ यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गणगौर की पूजा की जाती है, लड़कियां एवं महिलाएं शंकरजी एवं पार्वतीजी की पूजा करती हैं। रुचिका पटावरी ने पारंपरिक कथा के साथ मनोरंजक प्रतियोगिता करवाई। लगभग 70/80 सखी-सहेलियाँ उपस्थित थी। पूजा पटावरी ने आभार किया।

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