स्मृति विकास का अद्‌भूत व विलक्षण प्रयोग है अवधान


मुनि जिनेशकुमार ने किये सफलतम प्रयोग 

कटक, उडीसा 31.10.2022 ; युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमारजी ने जैन मित्र मंडल के तत्वावधान में श्याम बाबा, मंदिर में अवधान के 13 प्रयोग किए।
मुनि जिनेशकुमार ने कहा जीवन की सफलता का मुख्य आधार है- स्मृति विकास। आज का युग विकास का युग है। हमारा मस्तिष्क चैतन्य शक्ति का अक्षय भंडार है। यह सुपर कम्प्यूटर है, लेकिन व्यक्ति ने अपना दिमाग कम्प्यूटर के हाथों में गिरवी रख दिया है। वर्तमान में विश्व में आबादी जैसे तेजी के साथ बढ़ रही है वैसे ही तेजी के साथ स्मृति क्षीण होती जा रही है। स्मृति आत्मा का विशेष गुण है। उसके विकास की एक प्रक्रिया है- अवधान। अवधान स्मृति विकास का अद्‌भूत व विलक्षण प्रयोग है। अवधान का अर्थ है- ज्ञात-अज्ञात किसी भी परिचित बात या वस्तु को एकाग्र मन से स्मृति कक्ष में धारण करना। अवधान सिद्धि के प्रश्चात् व्यक्ति को श्रवण ज्ञान से संस्कृत श्लोकों एवं लम्बी संख्याएं याद‌ करने की क्षमता प्राप्त हो जाती है। अवधान जादुई चमत्कार या प्रदर्शन नहीं है। मात्र साधना का सुन्दर प्रयोग है। अवधान विद्या चित्त की एकाग्रता और स्मृति का स्फूर्त चमत्कार है। जैन परंपरा में यह दीर्घकालीन परंपरा है। इसमें जितनी ज्यादा एकग्रता होगी, उतनी ही धारण करने की क्षमता बढ़ेगी।
  मुनि ने आगे कहा कि स्मृति विकास के लिए 9 बार महाप्राण ध्वनि, ज्ञानकेन्द्र पर पीले रंग का ध्यान, ज्ञानमुद्रा, ओम् णमो णाणस्स का जप शशांक आसन आदि प्रयोग बताये। साथ में यह भी कहां जिसकी दिनचर्या संतुलित, व्यवस्थित है, रहन-सहन खानपान स्वस्थ है, व्यसन मुक्त जीवन है, सकारात्मक सोच है, उत्साह का भाव है, वह स्मृति में गति कर सकता है। मुनिश्री ने अंक स्मृति, वार शोधन, संस्कृत श्लोक, सर्वतोभद्रयंत्र घड़ी का समय बतलाना, शब्द स्मृति माला, प्रकाशन धनमूल निष्कान, गुप्तांक शोधन आदि प्रयोग कराएं। प्रश्नकर्ता ने सन् और तारीख बताया तो बिना पेन कागज कुछ ही सैकण्डों में मुनि ने वार बताकर सब को आश्चर्य चकित कर दिया। प्रश्नकर्त्ता‌ ने सर्वतोभद्र यंत्र 16 खानों का भरने के लिए 45 की संख्या दी, तो मुनि ने कुछ क्षणों में सर्वतोभद्रयंत्र भरा दिया। प्रश्नकर्त्ता व जनता विस्फारित दुष्टि से देखती रह गई। मुनि ने अलग-अलग समय में अंक, श्लोक, शब्द प्रश्नकर्त्ता से सुने और कार्यक्रम के बाद में एक साथ सबको सुना दिया, तो जनता दांतों तले अंगुली दबाती रह गई। ऐसे ही घड़ी का समय बताया, छिपा हुआ अंक बताया आदि। अवधानकार ने सफलतम प्रयोग करके यह बताया दिया कि हमारा मस्तिष्क सुपर कम्प्यूटर है।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणाल कुमार के मंगल गीत से हुआ। संचालन मुनि परमानंद व नरेश‌ खटोड़ ने किया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष मोहनलाल‌ सिंघी, जैन मित्र मंडल के अध्यक्ष मणि सेठिया ने विचार रखे। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम के संयोजक मनोज दुगड़ आदि कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा है। कंचनदेवी कोठारी ने आठ के प्रत्याख्यान किए। उनके परिवार की बहिनों ने गीत प्रस्तुत किया। मधुर संगायक महेन्द्र सिंघी ने मधुर भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सेकड़ों लोग उपस्थित थे।

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