समय प्रबंधन से करें कार्य : साध्वी श्री जिनबालाजी
◆ नाम, पद, प्रतिष्ठा, फोटो के मोह से बचने का प्रयास करें - युवक रत्न राजेन्द्र सेठिया
◆ युवक रत्न दलपत लोढा ने भी दिया युवाओं को प्रेरणादायी वक्तव्य
◆ अभातेयुप राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रेयांस कोठारी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ युवक सम्मेलन
सरदारपुरा, जोधपुर 16.10.2022 ; अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद् सरदारपुरा, जोधपुर द्वारा मेघराज तातेड़ भवन में युवक सम्मेलन का आयोजन साध्वी श्री जिनबालाजी के सान्निध्य में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। उपस्थित युवकों को साध्वी महकप्रभाजी ने प्रेक्षाध्यान, महाप्राण ध्वनि के प्रयोग कराए। तेयुप सरदारपुरा से सुनीलजी वैद आदि ने विजय गीत का संगान किया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन सभाध्यक्ष श्री सुरेशजी जीरावला द्वारा किया गया। स्वागत वक्तव्य तेयुप अध्यक्ष महावीरजी चौधरी ने दिया।
साध्वी श्री जिनबालाजी ने अपने प्रेरणादायी वक्तव्य में फरमाया कि तीन प्रकार की भावनाएं होती है -
1. अधिकार की भावना में सत्ता बोलती है
2. उपेक्षा की भावना में आलस्य बोलता है
3. कर्तव्य की भावना में समर्पण बोलता है।
कर्तव्य की भावना में व्यक्ति सबका प्रिय बनता है। हमें दीमक नहीं, दीपक बनना है, संध्या नहीं, उषा बनना है। अतीत को देखकर फुले नहीं, वर्तमान को पुरुषार्थ के सिंचन से भविष्य को उज्जवल बनाएं। धर्म केवल भाषण का विषय ना बने, जीवन चर्या का अंग हो। दायित्व को भार ना समझें, स्वयं का कार्य समझकर समय का प्रबंधन करें।
साध्वी भव्यप्रभाजी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि युवक में हर कार्य करने की क्षमता है, वह अंधकार में प्रकाश की ज्योत जला सकता है, वह निराशा को आशा में बदल सकता है। समय है आत्मा विश्लेषण का, संघ भक्ति, गुरु भक्ति ह्रदय में रहे। साध्वी करुणाप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में फरमाया कि युवकों पर सदैव विशेष दायित्व रहता है। जोधपुर यह धरा तेरापंथ नामाकरण की धरती है। युवकों के दायित्व की बात होती है। जीवन में दायित्व निर्वाह के लिए 3C महत्वपूर्ण है: -
1. Challenge - चुनौती स्वीकार करें,
2. Control - स्वयं व जिह्वा पर नियंत्रण रखें,
3. Co-operate - करें, सहयोग की भावना रखें।
बल्ब के आविष्कार की बात याद करें, एडिसन ने हजारों प्रयास किए पर असफलता से रुके नहीं और 10,000वॉ आविष्कार, इस जग को रोशनी दिखाने वाला साबित हुआ।
जयपुर से पधारे मुख्य वक्ता, युवक रत्न, राजस्थान सरकार के उद्योग विभाग के संयुक्त निर्देशक श्री राजेंद्रजी सेठिया ने युवाओं को प्रेरित करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि युवक वाह-वाह करना सीखें, टांग खींचना छोड़कर, हाथ खींचना शुरू कर दें। युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है। पर अगर शान से रहना है तो हम नशा छोड़ देवें। गुरूदेव का जोधपुर पधारना होना है, यह समय सोये हुए उत्साह को जगाने का समय है। हम श्रावक कार्यकर्ता बने, साधक कार्यकर्ता बने और इच्छा आकांक्षा का अल्पीकरण करें। युवक स्वयं के प्रति दायित्वशील बनें। परिवार को आठवां वार कहा जाता है। परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति स्वयं के दायित्व को समझे। स्वयं के चिंतन से, विचारों और कार्यों से परिवार और राष्ट्र का कर्ज चुकायें। भावी पीढी को केवल धन कमाने की मशीन ना बनायें। हम धर्मसंघ के प्रति हमारा दायित्व समझें, संघ हमारा प्राण है, त्राण है। श्रावक कार्यकर्ता बन नाम, पद, प्रतिष्ठा व फोटो के मोह से बचने का प्रयास करें।
समाजसेवी, युवक रत्न श्री दलपतजी लोढ़ा ने युवकों को आह्वान करते हुए कहा दायित्व दिया नहीं, लिया जाता है। आप लक्ष्य बनाएं, उसके लिए जी-जान लगा दे, सफलता दूर नहीं रह सकेगी। लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध रहे। बाधाओ से घबराये नही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अभातेयुप राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री श्रेयांशजी कोठारी ने कहा कि युवक चिंतन से युवा बने, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उचित प्रयत्न करते रहे, आगे बढ़ते रहें। कार्यक्रम का कुशल संचालन संदीपजी पटवारी ने किया। कार्यक्रम संयोजक नरेंद्रजी कोठारी, सहसंयोजन अर्पित कोठारी, पंकज डागा के श्रम से कार्यक्रम सफल रहा। कार्यक्रम में 100 से अधिक युवकों सहित अनेकों गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। तेरापंथ सभा अध्यक्ष सुरेशजी जीरावला ने भी युवकों को संबोधित किया।
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