सर्व मनोरथ सिद्धि प्रदाता है लोगस्स - मुनिश्री दीपकुमारजी


¤ पल्लावरम में हुआ 'लोगस्स कल्प अनुष्ठान' का भव्य आयोजन

पल्लावरम 20.07.2025 : तमिलनाडु के पल्लावरम क्षेत्र में स्थित तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीपकुमारजी ‌ठाणा-2 के सान्निध्य में 'लोगस्स कल्प अनुष्ठान' का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, पल्लावरम के तत्वावधान में आयोजित हुआ। 

 नमस्कार महामंत्र समुच्चारण से शुभारम्भ अनुष्ठान में सहभागी साधको को लोगस्स का महत्व बताते हुए मुनिश्री दीपकुमारजी ने कहा कि लोगस्स तीर्थकर स्तुति का महान मंत्र है। यह एक महाशक्ति है। भक्ति साहित्य की एक अमर, अलौकिक, रहस्यमयी और विशिष्ट रचना है। जैन समाज में इतना मान्य, लोकप्रिय है कि इसको अत्यन्त श्रद्धा एवं महत्त्व प्राप्त है। लोगस्स शाश्वत सुख का राजपथ है। आरोग्य, बोधि, समाधि, सिद्धि प्रदाता है। लोगस्स में भक्ति की भागीरथी प्रवाहित है। साधक जब इसका पाठ करता है, तो उसका हृदय भक्ति रस से आप्लावित हो जाता है। लोगस्स आगम वर्णित मंत्र गर्भित है। इसमें मंत्रों के अक्षरों की ऐसी अपूर्व और अनूठी संयोजना है की इसके स्तवन से सब मनोरथ सिद्ध होते हैं। लोगस्स में तीर्थकरों की स्तुति से अनिष्ट, अमंगल नष्ट होते हैं। आंतरिक संताप, तनाव समाप्त होते हैं। लोगस्स का पाठ सप्तपदी मंत्र हैं। सात पद्यों की संख्या अपने आप में अनूठा रहस्य समेटे हुए हैं। मुनिश्री से लोगस्स प्रभाव के प्रसंगों को सुनकर साधक भक्ति रस से आप्लावित हो गए। मुनिश्री ने लोगस्स के विविध प्रयोगों के बारे में बताते हुए अनुष्ठान करवाया, जिसे उपस्थित जनमेदनी ने तन्मय बनकर सह-संगान किया।

 प्रारंभ में मुनिश्री काव्यकुमारजी ने त्रिपदी वंदना का प्रयोग कराया।