महातपस्वी का महानगरी मुंबई करे अभिनंदन
★ महान जैनाचार्य, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी का भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह 17 को
मुम्बई देश की आर्थिक राजधानी महानगर मुंबई में यूं तो हर दिन रोज नए नए कार्यक्रम होते रहते है, नई नई कल्पनाओं को साकार रूप मिलता रहता है । भौतिक, आर्थिक, बॉलीवुड नगरी के साथ साथ मुंबई महानगर में आध्यात्म की गौरवशाली धरोहर भी कायम है ।
मुंबई में सैकड़ों वर्ष पुराने जैन मंदिर जैनत्व की परंपरा का साक्ष्य है तो हिंदुत्व की गौरवशाली केसरिया पताका भी खुले गगन में शोभायमान है । इस शोभायमान - गौरवशाली ऐतिहासिक धरा पर वर्ष 2023 में और एक इतिहास रचने जा रहा है ।
21वीं शताब्दी के आधुनिक युग में भी ऋषि मुनियों के देश भारत देश के मुंबई महानगर में महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी का पावन आगमन मानों शांति एवं करुणा के सागर के आगमन सम प्रतीत हो रहा है ।
मायानगरी मुंबई बनी अध्यात्म नगरी
ऐसा लग रहा है मायानगरी मुम्बई अध्यात्म नगरी बन गई है, लोगो मे चर्चा है तो यही की कौन है ये महातपस्वी ? किसके है ये ज्योतिचरण ? और क्यों युगप्रधान के नागरिक अभिनंदन को आतुर है महानगर मुम्बई ?
जिज्ञासाएं कई है क्योंकि जब सन्त चरण किसी जमीं पर रखते है तो बरबस ही सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते है और ये आकर्षण उनके बारे में जानकर कब आस्था और श्रद्धा में परिणित होता है पता ही नही चलता।
असाधारण बालक
राजस्थान के छोटे से गांव सरदारशहर की पावन भूमि पर एक बालक ने जन्म लिया परिवार वालो ने पहचान दी मोहन के रूप में ।
बालक मोहन साधारण बच्चों जैसा ही था लेकिन प्रतिभा असाधारण थी।बचपन से ही परिवार का धार्मिक प्रभाव उनके जीवन पर था और ये प्रभाव धीरे धीरे उनकी अंतर - उर्जा को जागृत करने लगा।
आचार्य श्री तुलसी के निर्देशन में मुनि सुमेरमलजी ने सरदारशहर की भूमि पर मोहन को दीक्षा प्रदान की ओर एक नए नाम मुदित के साथ जीवन के नए पथ पर चरण गतिमान हुए।
दो महान आचार्यों की प्रतिकृति
आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने उनकी असाधारण प्रतिभा को पहचाना ओर गीली मिट्टी से मूर्ति गढ़े वेसे मुदित की प्रतिभा को नया आकार मिलने लगा अपने जीवन के अनमोल वर्षो में तेरापंथ के दो अधिशास्ता के कुशल अनुशासन और नेतृत्व में मुनि मुदित सूर्य की भांति निखरने लगे और जल्द ही वे धर्मसंघ के दोनों आचार्य की अनुकृति के रूप में दिखने लगे।
धर्म संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए अपनी आत्मकल्याण की राह पर अग्रसर होते हुए अग्रणी बने फिर निकाय सचिव युवाचार्य ओर आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के देवलोक होने के बाद जैन तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता बने।
कुशल नेतृत्वकर्ता
आपके सुदृढ़ नेतृत्व में लगभग 800 साधु साध्वी आत्मकल्याण की राह पर अग्रसर है तो पूरे विश्व मे लाखो अनुयायी उनके भक्त है, जिनकी श्रद्धा भक्ति इतनी दृढ़ है कि आचार्य श्री महाश्रमण जी के मुखारविंद से निकला एक शब्द मानों पत्थर की लकीर हो ।
पदयात्राएं जो जनकल्याण की मिशाल बन गई
2010 से निरन्तर कदम कदम चलते हुए अहिंसा यात्रा अणुव्रत यात्रा के रूप में लगभग 55000 किमी से अधिक की पदयात्रा की है। ये यात्रा 3 देश 23 राज्यो से होती हुई देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में प्रविष्ट हुई है।
मानवता को समर्पित महाश्रमण की यात्रा
इन यात्रा का उद्देश्य किसी को जैन बनाना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के व्यक्तियों को
✓ नैतिकता (ईमानदारी),
✓ नशामुक्ति (नशे के अंधकार में डूबे मानव को नशामुक्ति की प्रेरणा ओर संकल्प से एक नई उम्मीद एव रोशनी देना)
✓ सद्भावना (परस्पर सद्भाव की भावना रखना) की प्रेरणा जन जन को देने वाले महान जैनाचार्य ने अब तक 1 करोड़ से ज्यादा लोगो को नशामुक्ति का संकल्प करवाया है।
किसी भी धर्म, जाति या सम्प्रदाय से ऊपर जनकल्याण की भावना रखने वाले मानवता के मसीहा है आचार्य श्री महाश्रमण जी।
जैन एकता के प्रबल पक्षधर
जैन सम्प्रदाय के विभिन्न फूलो को एक गुलदस्ते में रखने की चाह रखने वाले जैन एकता, संवत्सरी एकता के प्रबल पक्षधर है सन्त शिरोमणि आचार्य श्री महाश्रमण जी।
महातपस्वी का महानगर करे अभिनंदन
ऐसे महान व्यक्तित्व का मुंबई महानगर आगमन पर भव्य आध्यात्मिक स्वागत समारोह का आयोजन गोरेगांव स्थित नेस्को ग्राउंड में आयोजित होने जा रहा है ।
जिसमे मुंबई महानगर के करीब 20000 से अधिक विभिन्न धर्म सम्प्रदाय के लोग अभिनंदन समारोह में पहुंच कर ऐतिहासिक कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे।
"अणुव्रत यात्रा" के रूप में गतिमान धवल सेना का स्वागत विशाल रैली के माध्यम से किया जाएगा। कार्यक्रम में विशेष रूप से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस, पालक मंत्री श्री मंगलप्रभात लोढ़ा, श्री इक़बाल सिंहजी चहल, आयुक्त मुंबई महानगरपालिका, श्री विवेक फणसळकर, आयुक्त मुंबई पुलिस सहित मुंबई के अनेकों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहेंगे।
"इंसान पहले इंसान बने" इस सूक्त को महानगरी की धरा पर गुंजायमान करने वाले आचार्य श्री महाश्रमणजी धर्म- संघ-सम्प्रदाय के ऊपर राष्ट्र के नैतिक विकास एवं उत्थान के लिए निरंतर गतिमान है।
महाराष्ट्र के राजकीय अतिथि महायोगी के अभिनंदन में नेस्को गोरेगांव में मानवता के मसीहा, युगप्रधान, आचार्य श्री महाश्रमणजी एवं उनकी धवल सेना के स्वागत में उपस्थित दर्ज करवाकर एक एतिहासिक कार्यक्रम के साक्षी बने।
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, मुंबई
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