परोपकारी, पुरुषार्थी, पराक्रमी, अप्रमत्त संत थे- प्रो मुनिश्री महेंद्रकुमारजी
★ मुनिश्री जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में आयोजित हुई गुणानुवाद सभा
पूर्वांचल कोलकाता 09.04.2023 : तेरापंथ धर्मसंघ की बहुश्रुत परिषद के संयोजक, आगम मनीषी प्रो मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी की गुणानुवाद (पुण्य स्मृति) सभा का आयोजन युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा तुलसी धाम स्थित तोदी भवन में आयोजित हुई।
मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा कि प्रोफेसर मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी स्वामी तेरापंथ धर्म संघ के विशिष्ठतम संत थे। वे प्रकृति से सरल, सहज, विनम्र थे। वे नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे। मात्र 20 वर्ष की उम्र में आचार्य तुलसी के कर कमलों से दीक्षित हुए थे। ग्रेजुएट अवस्था में यह तेरापंथ धर्म संघ की प्रथम दीक्षा थी। उन्होंने जैन आगमों के अतिरिक्त अन्य दर्शनों का भी गहनतम अध्ययन किया। वे विविध भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने आगम सम्पादन में भी भगवती सूत्र पर विशेष कार्य किया। वे आध्यात्मिक व वैज्ञानिक व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान का भी तलस्पर्शी अध्ययन किया। उनकी प्रवचन शैली, समझाने की कला व कार्य कुशलता विशेष थी। वे विनोदी स्वभाव के धनी थे। वे भाग्यशाली थे उन्हें तीन-तीन आचार्यो की विशेष कृपा प्राप्त हुई।
मुनिश्री ने आगे कहा कि वे ज्ञानी संत थे। साधु चर्या में भी सजग थे। मुनिश्री विविध विशेषताओं के संगम थे- वे परोपकारी, पुरुषार्थी, पराक्रमी, अप्रमत्त मुनि थे। संघ, संघपति के प्रति पूर्ण समर्पित थे। संघ हित के लिए कार्य करते थे। समय-समय पर आचार्यो को अपने सुझाव भी देते थे। उनकी सेवाएं हमेशा याद रहेगी। उनकी आत्मा अनुत्तर गति को प्राप्त करे। ऐसी मंगल कामना करता हूँ। मुनिश्री परमानंद जी ने कहा मुनिश्री महेंद्रकुमारजी स्वामी तेरापंथ धर्म संघ के विशिष्ट संत थे। मुनिश्री कुणालकुमारजी ने गीत प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर तेरापंथी महासभा के मुख्य ट्रस्टी सुरेशजी गोयल, स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष हनुमानमलजी दुगड़, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल से रमण पटावरी, तेरापंथ जैन दर्शन समिति के मंत्री सुशीलजी चौरड़िया, तेरापंथ सभा (कलकत्ता) से बुद्धमल लुणिया, स्थानीय तेरापंथी महिला मंडल की अध्यक्षा श्वेता डाकलिया, श्रावक रमेशजी गोयल, पूर्वांचल के पूर्व अध्यक्ष भूपेंद्रजी श्यामसुखा, तेरापंथी महासभा के पूर्व महामंत्री तरुणजी सेठिया आदि ने अपने भावो की प्रस्तुति देते हुए भावांजलि दी। आभार ज्ञापन बालचंद्र जी दुगड़ ने और संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने किया।
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