सत्यम् शिवम् सुन्दरम का शिवालय है परिवार - मुनिश्री जिनेशकुमार

★ परिवार सौहार्द शिविर का समायोजन

उत्तरपाड़ा (हुगली) 05.03.2023 ; युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी ठाणा- 3 के सान्निध्य में उत्तरपाड़ा के माखला स्थित नारायण आश्रम में परिवार सौहार्द शिविर का आयोजन उत्तरपाड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहें।

 उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेशकुमार ने कहा कि समाज की सबसे छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण ईकाई है-परिवार। सात वार तो सभी जानते है पर आठवां वार है- परिवार। परिवार एक सर्वव्यापी संस्था है। परिवार एक बगीचा है, जहाँ नाना प्रकार के फूल खिलते हैं। परिवार एक संगठन है। परिवार मानवीय मूल्यों का मुख्यालय है, परिवार- सत्यम् शिवम् सुन्दरम का शिवालय है। परिवार स्नेहिल भावनाओं का सचिवालय है। निकटवर्ती समूह का नाम है- परिवार। जहाँ चारों ओर से स्वीकार किया जाता है उसका नाम है परिवार। परिवार में भय नहीं, भरोसा होता है। परिवार में शोषण नहीं, पोषण होता है। परिवार में अर्पण नहीं, समर्पण होता है। परिवार में बंधन नहीं, व्यवस्था होती है। परिवार में सूचना नहीं, समझ होती है। परिवार में कानून नहीं, अनुशासन होता है। परिवार में आग्रह नहीं, आदर होता है। परिवार में सम्पर्क नहीं, सम्बम्ध होता है।

 मुनिश्री ने आगे कहा कि परिवार सौहार्द के कुछ महत्वपूर्ण सूत्र है- सहिष्णुता, सामन्जस्य, प्रेम, श्रमशीलता, सकारात्मक चिन्तन, कृतज्ञता, मधुर भाषण, मधुर व्यवहार। सहनशीलता कमजोरी नहीं शक्ति है। शक्तिशाली व्यक्ति ही सहिष्णु बन सकता है। जितनी कलाएँ हैं- उनमें विशिष्ट कला सहिष्णुता है। सहिष्णता के बिना विद्या और बुद्धि भी मूल्यहीन बन जाते है। जिस घर में संप होता है, वहाँ संपत्ति होती है। सामन्जस्य वह शक्ति है, जो पूरे परिवार को एकसूत्र में पिरोए रखती है। समन्वय के अभाव में बड़े से बड़ा परिवार भी विघटित हो जाता है। समन्वय का बाधक तत्व है- आग्रह। परिवार में सुविधावादी मनोवृत्ति को दूर कर श्रम, सेवा, सहयोग की भावना को मुख्यता देनी चाहिए।


 इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद ने कहा कि जिस परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रेमपूर्ण व्यवहार होता है, उस परिवार में सौहार्द स्थापित होता है। प्रेम में वह शक्ति होती है, जो उग्र को भी शांत बना देती है। मुनिश्री कुणालकुमार ने घर को स्वर्ग बनाएं हम गीत का सुमधुर संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण उत्तरपाड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा अध्यक्ष श्री नोरतनमल सेठिया ने दिया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने लघु नाटिका प्रस्तुत की। पार्षद कामख्यासिंह ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन उपाध्यक्ष श्री छत्रसिंह बैद ने व्यक्त किया, कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पार्षद इन्द्रसिंह आदि ने भी मुनिश्री के दर्शन किए।


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