द पावर ऑफ साइलेन्स शिल्पशाला का आयोजन हुआ

★ तेरापंथ महिला मण्डल, लिलुआ द्वारा

◆ साधना का प्रवेश द्वार मौन है : मुनिश्री जिनेशकुमार


लिलुआ, कोलकत्ता 15.02.2023 ; युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में व अखिल भारतीय तेरापंथ महिला के निर्देशानुसार स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल ने द पावर ऑफ साइलेन्ट शिल्पशाला का आयोजन तेरापंथ सभा भवन लिलुआ में हुआ।

  मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने कहा कि दुनियां में तीन शक्तियां है- मन की, वचन की और काया की। मन और काया के मध्य है वचन की शक्ति। जीवन के धरातल पर वाणी और व्यवहार का सर्वाधिक मूल्य है। वाणी बिना घर परिवार, समाज, राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। वाणी और पाणी का उपयोग सोच विचार करके करना चाहिए। बोलना चादी है तो मौन रखना सोना है। अनावश्यक नहीं बोलना ही मौन है। कब, कैसे, कितना, कहां बोलना इसका विवेक जरुरी है। अधिक बोलने से ऊर्जा का क्षय व व्यक्तित्व पर ग्रहण लगने के समान है। अनावश्यक बोलने से शिष्टता की मर्यादा का लोप होता है।


 मुनिश्री ने आगे कहा कि साधना का प्रवेश द्वार व वाणी संयम का विशिष्ठ प्रयोग मौन है। मौन से अनेक प्रकार की शक्तियां का प्रादुर्भाव होता है। मौन से धर्म व समय की हानि नहीं होती है। व्यक्ति विवाद से बच जाता है। तनाव से मुक्ति मिलती है। स्मरण‌ शक्ति का विकास होता है। मन में समाधि रहती है। वक्त पर मौन रखने से हीं व्यक्ति का मूल्यांकन होती है। मौन से कर्मजा शक्ति का व प्रज्ञा का जागरण होता है।

 तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने मंगलाचरण किया। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा बेलाबाई पोरवाल ने स्वागत भाषण व आभार ज्ञापन संगीता पारख ने किया। मुनिश्री कुणालकुमारजी ने मधुर भजन सुनाया और कार्यक्रम का संचालन किया।


You can also send your news here for publication.

For More Information & Booking About Vijay Palace (अस्थाई निवास) 

Call  +91-9080972748