शुभ संकल्पों से होता शुभ भविष्य का निर्माण - मुनि सुधाकर
★ नववर्ष प्रारम्भ पर दिव्य अनुष्ठान एवं महामांगलिक का हुआ आयोजन
◆ शासनश्री साध्वी शिवमालाजी ने नववर्ष में धर्म के मूल्यांकन की दी प्रेरणा
केजीएफ : 01.01.2023 ; आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि श्री सुधाकरजी एवं मुनि श्री नरेशकुमारजी के पावन सान्निध्य में नववर्ष का भव्य और दिव्य अनुष्ठान, प्रभावक एवं शक्तिशाली मंत्रों के साथ महामांगलिक का आयोजन महावीर जैन कॉलेज, के जी एफ के विशाल प्रांगण में हुआ। जिसमें विराट संख्या में चेन्नई, बेंगलुरु, वानियामबाड़ी, वेल्लोर, कोल्लार, केजीएफ, गुड़ियातम, तिरुपति आदि अनेकों क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
मुनिश्री ने दिव्य अनुष्ठान के साथ-साथ पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि नव वर्ष का प्रारंभ पवित्र और विनायक संकल्पों से करना चाहिये। हम जैसे संकल्प करते हैं, हमारा भविष्य भी वैसा ही बन जाता है। गहरी श्रद्धा के साथ हम जो भी निश्चय करते हैं, उसके आधार पर भविष्य का निर्माण होता है। अच्छे और बुरे संकल्प से भाग्य की रेखाओं में बदलाव हो सकता है। हमें भाग्यवादी नहीं, पुरुषार्थवादी बनना चाहिये। कठिन परिस्थितियों को देखकर कभी निराशावादी नहीं होना चाहिये। अपने भविष्य के प्रति सदा आशावादी रहना चाहिये।
मुनिश्री ने आगे कहा कि हमें अपने जीवन में पाँच H का विशेष ध्यान रखना चाहिए- Healthy, Happy, Humble, High Thinking, Honesty.
Healthy- हमें स्वस्थ रहना है, क्योंकि स्वस्थ मन से स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है। Happy- हर परिस्थिति में हमें प्रसन्न रहना है। Humble-जितना जितना हम झुकेंगे उतना उतना हम विनम्र बनेंगे। High thinking- हमेशा अपनी सोच ऊँची रखे हमारी सोच में सकारात्मक, विशालता, गम्भीरता होनी चाहिये। Honesty- जीवन में अपने आप के प्रति प्रामाणिकता रहनी चाहिए। अगर हमने इन पाँच सूत्र को अपनायेंगे तो आनेवाला नव वर्ष हमारे लिये बहुत मंगलमय बन सकता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि जीवन में प्रगति और सफलता के लिए आत्म निरीक्षण करना जरूरी है। पिछले वर्ष हमें जो भी असफलता मिली है, उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। अपनी असफलता के लिए दूसरों पर दोषारोपण करना उचित नहीं है। शिव संकल्पमस्तु में मनु उपनिषद् के इस प्रसिद्ध सुभाषित मौका है। हमारे मन में हर समय पवित्र संकल्प रहने चाहिये। नए वर्ष के मंगल प्रभात में हम अपने प्रति तथा सारे विश्व के प्रति शुभ भावनाओं का वर्धापन करें। "सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामय" भारतीय संस्कृति का संदेश देना वाले इस प्रकार के विचारों से प्रेरणा लेकर हमें प्राणी मात्र का हित चिंतन करना चाहिये। आज हर व्यक्ति नवीनता का प्रेमी है, पर जब तक मन नया नहीं बनेगा, तब तक जीवन में विकास और उल्लास के फूल नहीं खेलेंगे।
मुनि श्री नरेशकुमारजी ने बहुत भी सुन्दर गीतिका की प्रस्तुति दी।
शासनश्री साध्वी शिवमालाजी ने अपने उद्धबोधन में फरमाया कि धर्म का मूल्यांकन करें तो जीवन का सही अर्थ में मूल्यांकन होगा। गुरुदेव श्री तुलसी ने लिखा है “शुभ भविष्य है सामने" हमें हर समय इस वाक्य को मंत्र की तरह जाप करना चाहिये व नये वर्ष में नये संकल्पों से जीवन को बदलगें तो नववर्ष हमारा सफल बन सकता है।
साध्वी श्री अमितरेखाजी ने कहा कि दो प्रकार के मंगल है- लौकिक मंगल व आध्यात्मिक मंगल। अहिंसा, संयम, तप में जो रम जाएगा, वह अपने इस नववर्ष को मंगलमय बना पायेगा। साध्वी श्री अर्हमप्रभाजी ने कहा की हमें इस नववर्ष में चतुर्विध धर्मसंघ देखने को मिल रहा है। साध्वी श्री रत्नप्रभाजी ने कविता के माध्यम से नव वर्ष की मंगलकामना प्रेषित की।
तेरापंथ सभा, केजीएफ अध्यक्ष संतोषजी बांठिया ने सभी का स्वागत किया। तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत मंगलाचरण के साथ प्रस्तुत किया। जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसुलालजी बोहरा ने विचार रखें। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रिया बांठिया ने किया। सभा मंत्री दिलीपजी हिंगड़ ने आभार व्यक्त किया।
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1 Comments
Awesome om Aram
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