दीक्षा जीवन निर्माण एवं रूपांतरण की प्रतिक्रया : शासन श्री साध्वी कुंथुश्रीजी


दीक्षार्थी मंगल भावना समारोह एवं वरगोडा

बालोतरा 05.12.2022 :- युगप्रधान आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी कुंथुश्रीजी, साध्वी रातिप्रभाजी, साध्वी गौरवयशाजी ठाणा-15 के सान्निध्य में दीक्षार्थिंनी मुमुक्षु मनीषा, मुमुक्षु तुलसी भगिनी द्वय का मंगल भावना समारोह का आयोजन न्यू तेरापंथ भवन, अमृत सभागार, आचार्य महाश्रमण मार्ग में हुआ।

  कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी पावनयशाजी एवं साध्वी शिक्षाप्रभाजी द्वारा महाश्रमण अष्टकम के साथ हुआ। शासनश्री साध्वी कुन्थुश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि दीक्षा  व्रत संग्रह, व्रतों के रक्षा कवच धारण करने का नाम दीक्षा है। दीक्षा जीवन निर्माण एवं रूपांतरण की प्रतिक्रया हैं, अध्यात्म प्रयोगो की साध्य भूमि है दीक्षा। दीक्षा का अर्थ है आध्यात्म का रूपांतरण संयम का अवतरण। संक्षेप में आत्म साधन के चरम बिंदु पर पहुचाने वाले सोपान का नाम है दीक्षा। तेरापंथ धर्मसंघ की दीक्षा गुरु के प्रति सर्वात्माना समर्पण की दीक्षा है। आप दोनों मुमुक्षु बहनों गुरु इंगित की आराधना करती हुई अध्यात्म पथ पर अग्रसर होती रहे, संयम के सुमन खिलते रहे।

 साध्वी रातिप्रभाजी ने दोनों के प्रति मंगलकामना करते हुए कहा कि संयम उसे कहा जाता है, जो सजग है, जगता है। संवर की साधना अनुत्तर साधन है, संयम ग्रहण करना। लघुवय में दोंनो बहिने संयम की और अग्रसर हो रही है, यह दृढ़ मनोबल का परिचय है और इनके माता पिता भी साधुवाद के पात्र जो अपनी तीन-2 लड़कियों को दान दे रहे। संयम के प्रति जागरूक रहकर हर पल को सार्थक, सफल करना और चरित्र की पर्याय को उज्ज्वल उज्ज्वल करने जाना। 

साध्वी गौरवयशाजी  ने कहा कि अध्यात्म भाव का साधन अभिषेक है दीक्षा ओर इधर उधर फिसलती आज़ादी का ब्रेक है दीक्षा। 

साध्वी कलाप्रभाजी ने भी मंगल भावना व्यक्त की तथा साध्वीश्रीजी ने  समूहस्वर में "संयम पथ से- साधन साकार हो" इस गीत के द्वारा मंगलकामना व्यक्त की। 

ओसवाल समाज अध्यक्ष शांतिलालजी डागा, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा अध्यक्ष धनराजजी ओस्तवाल, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष संदीपजी ओस्तवाल, ज्ञानशाला प्रभारी राजेशजी बाफना, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा निर्मलाजी संकलेचा, कन्या मंडल संयोजिका साक्षी वेदमेहता, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल क्षेत्रीय प्रभारी सारिकाजी बागरेचा, कमलादेवी ओस्तवाल, परमार्थिक शिक्षण संस्थान के संरक्षण धनराजजी भंसाली तथा दीक्षार्थी बहीनों के परिवार से उनकी बहन नीतू, हिना भाई सुमित, निर्मल आदि ने गीत, भाषण मुक्तक आदि से मंगल भावना की एवं हर्ष और उल्लास के साथ उनका वर्धापन किया। 


 मुमुक्षु बहिन मनीषा ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा यह संसार भुलावा है, सिर्फ यहा कोई न अपना है, यह सकल संसार कोरा सपना है और मोह की जाली में फंसकर व्यर्थ है। इसके साथ ही उन्होंने सबसे कृतज्ञता एवं क्षमायाचना की। 

मुमुक्षु तुलसी ने अपने आप भाव बताते हुए कहा मैं संयम में रमण कर और कर्मों की कारा तोड़ू। संयम पथ पर बडके, मैं, मुझे मेरे परिवार वालों ने सहयोग किया, आज्ञा दी उसके प्रति हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम का कुशलता से संचालन साध्वी मनोज्ञयशाजी ने किया।

मंगलभावना समारोह के बाद दीक्षार्थी बहनों का वरघोड़ा निकाला गया जो तेरापंथ सभा से प्रारम्भ हो, शहर के मुख्य मार्गों में गया। 

  समाचार साभार : नवनीत बाफणा