समर्पण, श्रद्धा व निष्ठा की नीव पर टिकी है सफलता : मुनि श्री अर्हत् कुमार
यशवन्तपुर, बंगलूरु : तेरापंथ सभा भवन में आयोज्य आओ करे जीवन की MBA विषय पर आयोजित कार्यशाला में सम्मिलित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री अर्हतकुमारजी ने फरमाया कि सफलताएं संयोग से नहीं मिलती। सफलता समर्पण, श्रद्धा व निष्ठा की नीव चाहती है। अब हमें जीवन की MBA करनी है, वरना हमारा जीवन समुंदर मे भटकी हुई उस कश्ती की तरह हो जाएगा, जो बिना लक्ष्य के पानी के थपेड़े के बीच अपने वजूद को बचाने के लिए विवश होती है। हमारा अस्तित्व उस कश्ती की तरह बनकर न रह जाए, हम अपना एक लक्ष्य निर्धारित करे और जीवन की MBA करने के लिए दिलों जान से जुड़ जाए।
मुनिश्री ने आगे कहा कि सुखी जीवन का स्वामी तो बस वहीं है, जो किसी भी प्रकार का बोझ अपने मन में नहीं रखता। स्वस्थ, सुन्दर शरीर की अपेक्षा स्वस्थ, सुन्दर मन की भूमिका अधिक होती है। हमारे देखने का नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। यह ऐसा चमत्कारिक मंत्र है, जो जिंदगी मे कभी भी निराशा का अंधकार नहीं होने देता।
मुनि भरत कुमार ने कहा कि
जो करना जीवन की MBA
लाइफ की कलात्मकता के लिए करे BA
कर्मों का करे हर पल CA - DEBIT CREDIT
जीवन का PROGRAMMING हो BCA
साधु संतो की क्लास मे होगा MCA
त्याग प्रत्याख्यान का हो BBA
हर व्यक्ति करता जीवन की MBA.
मुनि जयदीप कुमाजी ने कहा जीवन के लिय MBA करनी है, तो माथा और छात्ता खुला रहना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत नवीन एवं गगन बरडिया के मंगलाचरण से हुई। महिला मंडल ने गीतिका का संगान किया। सभाध्यक्ष गौतमचंद मुथा, गांधीनगर ट्रस्ट अध्यक्ष प्रकाश बाबेल, महिला मंडल अध्यक्षा मंजू गन्ना, तेयुप अध्यक्ष कमलेश दक, ज्ञानशाला संयोजिका मिनाक्षी दक, मदनलाल बरडिया, भेरुलाल पितलिया, धर्मेश कोठारी ने अपने विचार व्यक्त किए। सुन्दर संचालन सभा मंत्री महावीर ओस्तवाल ने किया।
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