जीवन में सफलता के लिए धर्य जरूरी - मुनि जिनेश कुमार
कन्या-युवती उत्सव "उमंग" का भव्य आयोजन
कटक उड़ीसा ; युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सान्निध्य में कन्या-युवती उत्सव "उमंग" कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल द्वारा तेरापंथ सभा भवन, कटक (उड़ीसा) में किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण "महासती चंदनबाला" का परिसंवाद था। कार्यक्रम में कोलाघाट से सुश्री पूजा रितु बोथरा मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित रही। कार्यशाला में पंजीकृत 48 कन्याएँ एवं युवतियाँ थी। प्रथम सत्र में अच्छी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहें।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने कहा भारतीय समाज में पवित्रता का प्रतीक है कन्याएँ। कन्याएं समाज के भविष्य का आधार है। कन्याएँ समाज की तकदीर व तस्वीर है। कन्याएँ शक्ति है, संस्कृति है, त्याग की प्रतिमूर्ति है। कन्याओं का संस्कारी बनाना घर, परिवार व समाज को संस्कारी बनाना है। कन्याएँ दो घरों को रोशन करने वाली रोशनी है। कन्याएँ घर के मंदिर का दीपक है। कन्याएँ मानव मन का अंतर मन है। कन्याएँ पिता की झोली में कुदरत का वरदान है। कन्या-युवती उत्सव "उमंग" कन्याओं एवं युवतियों में नई उमंग का संचार करने वाला है। जीवन की सफलता उत्सव के लिए कन्याओं एवं युवतियों को सहनशीलता, विचारशीलता, चरित्रशीलता, कर्मशीलता, आस्थाशीलता के प्रति जागरूक रहना चाहिए। सहिष्णुता कायरता नहीं अर्पित वीरता है। सहिष्णुता में अद्भुत शक्ति छिपी हुई है। जीवन में सफलता पाने के लिए धैर्य का होना बहुत आवश्यक है। जो दूसरों का भला करता है, उसे लाभ होता है और जो दूसरों पर दया करता है, उसे हमेशा याद रखा जाता है। जो सहता है, वह रहता है।
मुनिश्री ने महासती चंदनबाला के जीवन चरित्र को कन्याओं के लिए आदर्श बतलाते हुए कहा कि महासती चंदनबाला का जैन शासन में अप्रतिम स्थान है। वे आस्थाओं के आकाश में दैदीप्यमान नक्षत्र बनी हुई है।
कन्या मंडल द्वारा महासती चंदनबाला के जीवन चरित्र का अंश परिसंवाद द्वारा मंचन किया गया। जो सराहनीय एवं प्रेरणादायी प्रयास है।
इस अवसर पर मुनि परमानंद ने कहा उमंग, आशा और उत्साह जीवन का धन है। कन्याएँ एवं युवतियां सफलता के लिए प्रसन्न रहें, सकारात्मक रहे और पुरुषार्थी बनी रहें। महासती चंदनबाला के परिसंवाद की सुन्दर प्रस्तुति से शील व सत्य की शिक्षा उजागर हुई है। मुनि कुणालकुमारजी ने सुमधुर गीत का संगान किया।
कार्यक्रम की मुख्यवक्ता मोटीवेशनल स्पीकर सुश्री पूजा रितु बोथरा ने अपने वक्तव्य में "उमंग" को परिभाषित करते हुए कहा तनाव, चिंता के युग में उमंग का होना बहुत जरूरी है। हमें उमंग गुरु के प्रति समर्पण से प्राप्त होती है। गुरु के प्रति संपूर्ण समर्पण होना चाहिए, जिसमें कोई शर्त नहीं हो। इसलिए प्रतिदिन गुरु को वंदन करे।
कार्यशाला का शुभारम्भ युवतियों के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती हीरा बैद ने दिया। मुख्य वक्ता का परिचय अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की कार्यकारिणी सदस्या श्रीमती इंदिरा लूणिया ने दिया। तेरापंथ कन्या मंडल ने सुमधुर गीत का संगान किया।
प्रथम सत्र में कन्या मंडल द्वारा महासती चंदनबाला के परिसंवाद की शानदार प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति को देखकर उपस्थित जनता भाव विभोर हो गई। कार्यक्रम का संचालन मंत्री शशी बिनायिकिया ने किया।
द्वितीय सत्र में "सफलता के लिए पथ चुने" विषय पर मुख्य वक्ता सुश्री पूजा रितु बोथरा ने संभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। मुनि श्री जिनेशकुमारजी ने प्रेरणादायी उद्बोधन प्रदान किया।
तृतीय सत्र में स्मृति दर्शन, मुझे पहचानो, एक मिनट प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता आयोजित हुई।
चतुर्थ सत्र जो समापन सत्र के रूप में आयोजित था। जिसमें मुनि श्री जिनेशकुमारजी का प्रेरणादायी उद्बोधन प्राप्त हुआ। प्रतियोगिताओं के विजेताओं, अतिथियों एवं परिसंवाद प्रस्तुत करने वाली कन्याओ का महिला मंडल द्वारा सम्मान किया गया। आभार ज्ञापन कन्या मंडल प्रभारी श्रीमती कनक सिंधी द्वारा किया गया। संचालन शशी विनायिकिया ने किया। इस अवसर पर, ऊँकार में नवकार प्रतियोगिता के भी परिणाम सुनाए गए। बहिनो ने अपने अनुभव सुनाए।
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