दर्शन क्लब, चैन्नई की सदस्याओं ने किया कायोत्सर्ग


कायोत्सर्ग प्रयोग से मिलती है स्वस्थता - साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञाजी

 साहूकारपेट, चेन्नई 12.10.2022 ;  तेरापंथ सभा भवन में दर्शन क्लब की सदस्याओं को कायोत्सर्ग का प्रयोग करवाने से पूर्व साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि प्रेक्षाध्यान साधना पद्धति तेरापंथ धर्म संघ द्वारा मानव जाति को समर्पित विशिष्ट अवदान है। तेरापंथ के नवमाचार्य गुरुदेव श्री तुलसी के निर्देशन में, 'प्रेक्षा प्रणेता' आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने प्राचीन जैनागम और वर्तमान विज्ञान के आधार पर प्रेक्षाध्यान पद्धति देकर मानव सेवा का महान कार्य किया है। लगभग 50 वर्षो से चल रही इस साधना ने मात्र भारत में ही नहीं विदेशों में भी व्यापक स्थान बनाया है। अब तक हजारों शिविरों से लाखों लोग लाभान्वित हो चुके हैं। प्रेक्षाध्यान के अनेकों प्रयोग हैं, जिनसे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रोगों से निजात पाई जा सकती है। प्रेक्षाध्यान का मूल उद्देश्य आत्मदर्शन और चित्त शुद्धता हैं। जब चित्त की शुद्धि होती है, तब स्वस्थता की प्राप्ति संभव है। कायोत्सर्ग का प्रयोग प्रेक्षाध्यान का एक अंग है। कायोत्सर्ग की साधना करने वाला व्यक्ति भेदविज्ञान की अनुभूति करता हुआ, आत्मानन्द प्राप्त करता है। अनेकों बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। 

 साध्वीश्री जी द्वारा लगभग 45 मिनिट तक कायोत्सर्ग का विशेष प्रयोग करवाया गया। क्लब की मुख्य सदस्या श्रीमती वंदना खटेड सहित लगभग 36 बहनों ने संभागिता दर्ज की। क्लब की सदस्याओं ने मंगल संगान किया। श्रीमती कविता सांड, श्रीमती मीना सुन्देशा एवं श्रीमती अनिता मूथा सहित सभी बहनों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा- ऐसे प्रयोग हमारे जीवन में आनंद का संचार करते हैं। बीज मंत्रों के साथ कायोत्सर्ग की यात्रा में जो अव्यक्त आनंद हमें अनुभव हुआ, उसे बताया नहीं जा सकता। एक दिवसीय शिविर रखने के लिए बहनों ने साध्वीश्रीजी से निवेदन किया। श्रीमती वन्दना खटेड़ ने आभार जताया। साध्वीश्री के मंगल मंत्र श्रवण से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।


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