अणुव्रत उद्द्बोधन सप्ताह का शुभारम्भ


साम्प्रदायिक सौहार्द से उन्नति संभव - मुनि जिनेश कुमार

 कटक, उडीसा 26.09.2022 ; युगप्रधान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महा‌श्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सान्निध्य में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा निर्देशित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रारम्भ साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस के रूप में अणुव्रत समिति कटक द्वारा तेरापंथ सभा भवन में आयोजित हुआ।

  धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमारजी ने कहा कि अणुव्रत का ‌मूल आधार मानवीय एकता, साम्प्रदायिक सौहार्द और प्रामाणिकता है। ये तीनों तत्व ही अणुव्रत को सार्वभौम बना रहे हैं। इसलिए इस आंदोलन से हर जाति, सम्प्रदाय के लोग जुड़े हुए हैं। अणुव्रत एक ऐसा मंच है, जहाँ से विभिन्न धर्मो के लोग साथ बैठते हैं। अणुव्रत क्रिया काडों की नहीं, आचरण शुद्धि की बात करता है।

  मुनिश्री ने साम्प्रदायिक सौहार्द पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्प्रदाय बुरा नहीं है, बुरी है साम्प्रदायिकता। सम्प्रदाय तो एक व्यवस्था है, पर साम्प्रदायिकता उन्माद है। विभिन्न धर्मो के लोग धार्मिक सहिष्णुता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के बल पर शांतिपूर्ण ढंग से साथ रह सकते है। सम्प्रदाय थे, है और रहेंगे। जब तक वैचारिक स्वतंत्रता है, तब तक सम्प्रदायों का होना स्वाभाविक है। सम्प्रदाय लिफाफा है और धर्म अन्दर रखा हुआ मूल्यवान पत्र है। सम्प्रदाय फल का छिलका है और धर्म फल का गुदा है। वीतराग का कोई सम्प्रदाय नहीं होता, वे तो राग-द्वेष मुक्त होते हैं। अणुव्रत कहता है किसी भी धर्म एवं संप्रदाय का अनादर मत करो। साम्प्रदायिक उत्तेजना मत फैलाओ।धार्मिक सहिष्णुता एव सामंजस्य में ही मानव जाति का हित छिपा हुआ है।

 कार्यक्रम का शुभारम्भ मुनि कुणालकुमारजी के अणुव्रत गीत संगान के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण अणुव्रत समिति के अध्यक्ष मुकेश डूंगरवाल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद ने किया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।







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